ईसीडी के लक्षण सामान्यतः कौन से अंग असरग्रस्त हैं उस पर निर्भर करते हैं, जो प्रत्येक रोगी के साथ भिन्न होते हैं। इस कारण से, प्रत्येक रोगी के साथ ईसीडी के लक्षण भी अलग-अलग होंगे। केवल एक डॉक्टर ही ईसीडी का निदान कर सकता है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- सबसे आम तौर पर सूचित किए जाने वाले लक्षण में दोनों तरफ पैरों और हाथों की लंबी हड्डियों में होनेवाला दर्द है। पैर दर्द अक्सर घुटने, पिंडली और एड़ियों में होता है। हाथ दर्द अक्सर ऊपरी बाहों में होता है। ईसीडी के 50% से अधिक मरीज़ इस लक्षण की पुष्टि करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ रोगियों को हड्डी के दर्द के लक्षण कभी नहीं होते हैं।
- सामान्य लक्षण: वजन घटना; बुखार; रात को पसीना; मांसपेशी और जोड़ों का दर्द; असुविधा, कमजोरी, और थकान की भावना; फ्लू जैसे लक्षण जो लंबे समय तक रहते हैं या लौटते रहते हैं|
- अत्यधिक प्यास और पेशाब (मधुप्रमेह इंसिपिडस)
- संतुलन की समस्या; चलने में कठिनाई (एटैक्सिया); अस्पष्ट आवाज़ (डिस्र्थ्रिया); अनैच्छिक और तेजी से आंखो का पटपटाना (निसटाग्मस)
- पीठ का निचला हिस्सा, पार्श्व-भाग या पेट का दर्द, अक्सर किडनी से जुडी समस्याएँ (रेट्रोपेरिटोनियल फाइब्रोसिस); किडनी कि कार्यक्षमता को कम करना
- आंखों की सूजन (एक्सोप्थालमोस)
- देखनेमें कठिनाइयाँ। इनमें दोनो तरफ की आँखों का फड़फड़ाना, दोहरी दृष्टि, कम दृष्टि या दृष्टि में अन्य गड़बड़ी भी शामिल हो सकती है।
- त्वचा के नीचे होनेवाला दर्द या चोट (क्सेनथॉमस), लाल चकत्ते
- सांस की तकलीफ (डिस्पेनिआ)
- संक्रमिक संवेदनशीलता का बढ़ावा
एक मरीज़ के पास एक या एक से ज्यादा ऐसे लक्षणों का अलग-अलग संयोजन हो सकता है। यही बात आंशिक रूप से ईसीडी को निदान करने में इतना मुश्किल बनाता है। लक्षणों का व्यवस्थित मुआयना करने से ईसीडी का समय से पूर्व परीक्षण और निदान करना संभव हो सकता है। यह संभावित रूप से सफल उपचार के लिए रोगियों को सबसे अच्छा मौका देगा।
ईसीडी का निदान करना अक्सर मुश्किल होता है और केवल डॉक्टर ही इस बीमारी का निदान कर सकता है। कई मरीज़ों को सही निदान पाने से पहले सालों लग जाते हैं। एक निश्चित निदान आमतौर पर रोगविषयक लक्षण, बायोप्सी, और हड्डी की जांच पर आधारित होता है।
निदान के मापदंड जिन्हें अब तक व्याख्यायित किया गया है उनमें शामिल हैं:
विशिष्ट हिस्टोलॉजिकल परिणाम:
• CD68 पॉजिटिव और CD1a नेगेटिव इम्यूनोहिस्टोकेमिकल स्टैइनिंग के साथ पॉलिमॉर्फिक ग्रैनुलोमा और फाइब्रोसिस या क्सेंथोग्रैनुलोमाटोसिस के बीच पायेजानेवाले घने फोमी हिस्टियोसाइट्स में घुसना
विशिष्ट स्केलेटल(हड्डियों से संबंधित) परिणाम:
- एक्स-रे लंबी हड्डियों में डायफिसियल और मेटाफिसियल क्षेत्रों के द्विपक्षीय और संमित कॉर्टिकल ऑस्टियोस्क्लेरोसिस दिखाते हैं
और / अथवा
• निचले अंगों की लंबी हड्डियों के दूरस्थ सिरों के संमित और असामान्य रूप से बढ़ते लेबलिंग(निशान), और कभी-कभी ऊपरी अंग, 99TC बोनस्कींटिग्राफी पर दिखते हैं।
एक सही निदान नवीनतम अध्ययन के साथ प्रभावित मांसपेशी की बायोप्सी के परिणामों पर निर्भर करता है। मांसपेशी के नमूने की जांच एक प्रशिक्षित चिकित्सक और प्रतिकृति की जांच एक रेडियोलॉजिस्ट द्वारा की जा सकती है, अगर उनके पास का ज्ञान है।
का आदेश देगा। संभावित रूप से प्रभावित अंगों का अच्छे से अध्ययन करना महत्वपूर्ण है: हड्डियां, फेफड़े, हृदय, केंद्रीय भाववाहक तंत्र, किडनी, आंखें, पिट्यूटरी ग्रंथि, त्वचा, दांत।
एक्स-रे और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (EKG अथवा ECG) अक्सर प्रारंभिक परीक्षण होते हैं। CT स्कैन, CT/PTE स्कैन, MRI, हड्डियों क परीक्षण, या इकोकार्डियोग्राम जैसे असंक्रामक परीक्षण लक्षणों, निदान के संकेतों और / अथवा पिछले परीक्षणों के परिणामों के आधार पर जारी किये जा सकते हैं।
यदि शरीर के भीतर मांसपेशीयों का बड़ा समूह(गाँठ) या मांसपेशीयों में क्षति पाइ जाती है, तो निदान की प्रक्रिया के तौर पे एक मांसपेशी बायोप्सी का परिक्षण भी किया जा सकता है। चिकित्सक बायोप्सी के माध्यम से प्राप्त मांसपेशी के नमूने का अध्ययन करेगा। ईसीडी से असरग्रस्त मांसपेशी में आमतौर पर लिपिड-लडेन, फोमी हिस्टियोसाइट्स के क्लस्टर होते हैं जो पुरानी सूजन के लक्षण होते हैं, और अक्सर टौटन-प्रकार की विशाल कोशिकाऐं, फाइब्रोसिस और संभावित बड़ा सा नेक्रोसिस भी पया जाता है। चिकित्सक मांसपेशी के नमूने का आगे अध्ययन करेंगे और CD68, CD163, और फैक्टर XIIIa के लिए पॉजिटिव दिखनेवाले हिस्टियोसाइट्स पाएंगे। मांसपेशी नमूना CD1 और लैंगरिन (CD207) और बीरबेक ग्रैन्यूल के बिना नकारात्मक परीक्षण करेगा। S-100 प्रोटीन का मापदंड अस्थायी है।
एक हड्डी की बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है। यदि ईसीडी ने हड्डियों को असरग्रस्त किया है, तो हड्डी की बायोप्सी आमतौर पर स्क्लेरौटिक हड्डी दिखाएगी।
हालांकि मस्तिष्क के घावों को कभी-कभी ईसीडी के साथ पाया जाता है, लेकिन इन घावों पर बायोप्सी करना हंमेशा संभव नहीं होता क्यूँकि वो उनके मस्तिष्क में दिखाई देने पर निर्भर होता है। डॉक्टर आमतौर पर इन घावों को जब मस्तिष्क का एक एमआरआई किया जाता है तब देखेंगे। ये घाव T2 अतिसंवेदनशीलता और अक्सर तीव्र गैडोलिनियम वृद्धि दिखाएंगे। घाव अक्सर पोन्स और सेरिबैलम में होते हैं, लेकिन वे मस्तिष्क के ऊपर की मांसपेशीयों(मेनिंग) या मस्तिष्क में कहीं और भी हो सकते हैं। इन परिणामों को मलटीपल स्क्लेरोसिस के साथ भरमाया जा सकता है क्योंकि वे आमतौर पर मलटीपल स्क्लेरोसिस में देखे जाने वाले डिमिलिनेटिंग प्रक्रिया की नकल करते हैं।
तेजी से यह सुझाव दिया जा रहा है कि ईसीडी रोगियों पर BRAF V600E म्युटेशन का परीक्षण किया जाना चाहिए। यह बताया गया है कि ईसीडी रोगियों के 50% से अधिक इस म्युटेशन के लिए सकारात्मक परीक्षण करते हैं। अनुवांशिक म्युटेशन केवल ईसीडी घावों में मौजूद है, न कि “जर्मलाइन” में, जो कहता है कि यह वंशानुगत समस्या नहीं है। यह परीक्षण इम्यूनोहिस्टोकैमिस्ट्री और अल्ट्रासेंसिव परख का उपयोग करके किया जाना चाहिए क्योंकि ईसीडी रोगियों के बीआरएफ़ परीक्षण से जुड़े झूठे नकारात्मक परिणामों की संख्या भी बड़ी रही है।
आज तक, ईसीडी के लिए कोई “इलाज” नहीं है, हालांकि अधिक प्रभावी उपचार की खोज की जा रही है। जो सबसे अच्छा उपचार आज उपलब्ध है वॉ बीमारी कि नियंत्रित या कभी-कभी बीमारी से जुड़े विकास को कम करता है। उपलब्ध सीमित सबूत बताते हैं कि अगर कुछ उपचार बंद हो जाते हैं, तो रोग आमतौर पर फिर से तुरंत प्रगति करेगा। नतीजन, कुछ सफल उपचार अनिश्चित काल तक जारी रखा जा सकता है।
इस बीमारी की दुर्लभता के कारण, निदान के परीक्षण ऐतिहासिक रूप से आयोजित नहीं किए गए हैं। इसका मतलब है कि ऐसा कोई इलाज नहीं है जिसका वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है, सभी उपचार का उपयोग अनाधिकारिक तौर पर किया जाता है। दवाओं का अनाधिकारिक उपयोग असामान्य नहीं है। अनाधिकारिक उपयोग एक विकार के इलाज के लिए अनुमोदित दवा को निर्धारित करने का अभ्यास है, जो किसी अन्य विकार के इलाज के लिए है। हालांकि एक चिकित्सक के लिए स्वतंत्र रूप से दवा अनाधिकारिक तौर पर दवाई लिखने का निर्णय लेना कानूनी है, लेकिन दवाइयों के निर्माता के लिए दवाई के अनाधिकारिक उपयोगों को बढ़ावा देना अवैध है। उपचार बेहतर तथा प्रणालीबद्ध हो रहा है और परिणाम में काफी सुधार हुआ है। हालांकि, ईसीडी विभिन्न मरीजों को असर करने के तरीकों के कारण, आज उपयोग में कई प्रकार के उपचार हैं।
इन कारणों से, कोई एक उपचार नहीं है जिसे चिकित्सा समुदाय द्वारा “सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध” के रूप में स्वीकार किया जाता है। हालांकि, ऐसे कई डॉक्टर हैं जिन्होंने एक विशेष उपचार योजना के साथ अपने परिणामी दस्तावेज किए हैं। इनमें से कई उपचार अनौपचारिक अनुभव पर आधारित हैं, लेकिन समय के साथ वे दिखा रहे हैं कि वे रोगियों की मदद करते हैं। उनमे शामिल है:
इम्यूनोथेरेपी (इंटरफेरॉन)
इंटरफेरॉन -अल्फा, आमतौर पर उपचार की “पहली पंक्ति” माना जाता है, ऐसे मरीजों के लिए जो इसे बर्दाश्त कर सकते हैं, जिसमें www.pubmed.govपर कई शोध-पत्र उपलब्ध हैं जो इस उपचार की असरकारकता बयान कर रहे हैं। इंटरफेरॉन एक प्रोटीन है, जो शरीर बनाता है जब वह एक बाह्य घटक जैसे की वायरस से लड़ने की कोशिश कर रहा है। अगर एक डॉक्टर का मानना है कि यह रोगी के लिए इलाज का सबसे अच्छा तरीका है, तो वह रोगी को यह दवा लिख देगा और किसी भी विपरीत असर के लिए रोगी पर निगरानी जारी रखेगा। इंटरफेरॉन उपचार में एक रोगी को इंजेक्शन (शॉट) द्वारा दवा दी जाती है। इंटरफेरॉन के दो रूप होते हैं, एक जिसमे सप्ताह में 3 बार इंजेक्शन की आवश्यकता होती है, और एक और पेजिलेटेडस्वरुप जिसमे सप्ताह में केवल एक बार इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। यह उपचार आम तौर पर लंबे समय के लिए अपनाया जाता है। यह एक ऐसा उपचार है जिसे घर में दिया जा सकता है (इन्सयुलिन शॉट की तरह); इंजेक्शन प्राप्त करने के लिए रोगी को आमतौर पर डॉक्टर के कार्यालय या अस्पताल में जाने की आवश्यकता नहीं होती है।रोगी को कुछ साइड इफेक्ट्स जैसे थकान या फ्लू जैसी अनुभुती हो सकती है। हालांकि, कुछ रोगियों के लिए, इन साइड इफेक्ट्स समय के साथ कम हो जाते हैं। (लंबी अवधि और इंटरफेरॉन-αकी उच्च मात्राके साथ एर्डिम-चेस्टर रोग का उपचार देखें) ईसीडी के लिए इंटरफेरॉन उपचार का वर्णन करने वाले अधिक शोधपत्रों के लिए, पूर्ण-लंबाई के लेख वेबपेज पर देखें।हाल ही में यह बताया गया है कि इंटरफेरॉन-अल्फा के साथ ईसीडी के इलाज के लिए एक आम खुराक त्वचा के नीचे 3mIU की एक इंजेक्शन है,वो भीप्रति सप्ताह तीन बार। केंद्रीय भाववाहक तंत्र (सीएनएस) या कार्डियक प्रभावित रोगियों का उपचार, त्वचा के नीचे 6-9mIU के उच्च खुराक की एक इंजेक्शन, प्रति सप्ताह तीन बार लेकर किया जा सकता है। पेग्लेटेड इंटरफेरॉन-अल्फा के साथ ईसीडी के इलाज के लिए एक सामान्य खुराक सप्ताह में एक बारत्वचा के नीचे 135ug की एक इंजेक्शन है।
बीआरएफ़-अवरोधक (वेम्युराफेनिब, डेबराफेनिब)
एफडीए ने BRAF V600 म्युटेशन के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले ईसीडी रोगियों के इलाज के रूप में वेमुराफेनिब को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी ‘मेमोरियल स्लोन केटरिंग’ में हुए सफल नैदानिक परीक्षण के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित थी। (यह वर्तमान में ईसीडी के लिए एकमात्र एफडीए-अनुमोदित उपचार है।) 50% से अधिक ईसीडी रोगियों ने BRAF V600E म्युटेशन के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। इन खोजों ने कुछ इलाज चिकित्सकों को ईसीडी के इलाज के लिए बीआरएफ़- अवरोधक का उपयोग शुरू करने के लिए प्रेरित किया है, रोगी को इस म्युटेशन के लिए सकारात्मक परीक्षण करना चाहिए। (उभरते आंकड़े बताते हैं कि ईसीडी रोगियों को अल्ट्रा-संवेदनशील पद्धतियों का उपयोग करके BRAF- म्युटेशन के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए क्योंकि झूठे नकारात्मक परिणाम उच्च मात्रा में पाये जा सकते हैं।) हाल के विवरणों से संकेत मिलता है कि ईसीडी के इलाज के लिए वेमुराफेनब की एक सामान्य खुराक 480-960mg प्रति दिन है। अबतक के अनुभव से पता चलता है कि ईसीडी रोगी कुछ अन्य कैंसर में देखे गए वेमुराफेनेब के प्रतिरोध का विकास नहीं करते हैं। हालांकि, शोध दिखा रही है कि रोगियों को अनिश्चित काल तक इस उपचार पर बने रहने की आवश्यकता हो सकती है।
एक निदान परीक्षण ने BRAF-पॉजिटिव ईसीडी रोगियों के इलाज में डेबराफिनिब और ट्रामेटिनिब के प्रभावों का अध्ययन करना शुरू कर दिया है। परीक्षण वर्तमान में भर्ती के लिए बंद है लेकिन जल्द ही फिर से खुलने की उम्मीद है। (यह वेबपेज देखें।) अधिक जानकारी के लिए कृपया ईसीडी वैश्विक संगठन से संपर्क करें। इस परीक्षण से झुडे मरीज़ अच्छे नतीजों की पुष्टि कर रहे हैं।
अंत में, हाल में हुए संशोधन यह सुझाव दे रहे हैं कि BRAF म्युटेशन के लिए नकारात्मक परीक्षण करने वाले मरीजों में अन्य म्युटेशन हो सकते हैं जो केंद्रित उपचार की अनुमति देंगे। सभी ईसीडी रोगियों और उनकी चिकित्सा टीमों से इस क्षेत्र में नवीनतम शोध के साथ नवीनतम रहने का आग्रह किया जाता है। (BRAF -अवरोधक पर अधिक जानकारी के लिए https://en.wikipedia.org/wiki/BRAF_(gene वेबपेज देखें)
MEK-अवरोधक (ट्रामेटिनिब, कोबिमेटिनिब, आदि)
ईसीडी के उपचार में सबसे नए शोध में एमईके अवरोधकों का उपयोग शामिल है। इन उपचारों का अध्ययन ईसीडी परामर्श चिकित्सा केंद्रों में किया जा रहा है और यह दोनों BRAF-पॉजिटिव और BRAF -नकारात्मक रोगियों के लिए हैं। उपचार कुछ मामलों में अकेले इस्तेमाल किया जा रहा है और कभी-कभी जब रोगी बीआरएफ़-पॉजिटिव होता है तब इसका उपयोग BRAF-अवरोधक के साथ किया ज रह है। मरीजों और / अथवा उनकी चिकित्सा टीमों को ईसीडी परामर्श चिकित्सा केंद्र में अग्रणी चिकित्सकों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ऐनाकिनरा (व्यापारिक नाम किनेरेट)
किनेरेट संकेतों और लक्षणों में कमी के लिए तथा धीमे से ले के सक्रिय रूमेटोइड आर्थ्राइटिस में संरचनात्मक क्षति की प्रगति को धीमा करनेमे स्वीकृत है। किनेरेट संक्रमण से लड़ने के लिए रोगप्रतिकारक प्रणाली की क्षमता को कम कर सकते हैं। यह बताया गया है कि किनेरेट ने कुछ रोगियों के लिए केंद्रीय भाववाहक तंत्र (सीएनएस) या कार्डियोवैस्कुलर को प्रभावित किए बिना ईसीडी के हल्के रूपों के अच्छे नतीजे दिखाए हैं। अगस्त 2010 में दो मरीजों के परिणामों के साथ एक शोधपत्र प्रकाशित किया गया था, जिसमे किनेरेट का उपयोग करके सकारात्मक परिणामों के साथ उनका इलाज किया गया था। तब से और भी मरीजों पर किए गए अध्ययन प्रकाशित हुए हैं जो सकारात्मक परिणाम दिखा रहे हैं। (देखें http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/20724540) फिर भी अन्य मुआयनोने जटिल मामलों में किनेरेट की खराब प्रभाव दिखाया है जिसमें सीएनएस या कार्डियोवैस्कुलर क प्रभावित होना शामिल है। ऐनाकिनरा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Anakinra देखें। ईसीडी के इलाज में ऐनाकिनरा की सामन्य खुराक रोजाना 100 मिलीग्राम का इंजेक्शन है।
इमेटिनिब (व्यापारिक का नाम ग्लीवेक)
इमेटिनिब पहली स्वीकृत दवा है जो एक निश्चित प्रोटीन के सिग्नल को बंद कर देती है़ और जिसे कुछ कैंसर के कारण जाना जाता है। ईसीडी के लिए इस उपचार के बारे में कुछ ज्यादा प्रकाशित नहीं किया गया है। हालांकि, एक लेख उपलब्ध है जो इस उपचार के उपयोग का वर्णन करता है जिसमें एक से ज्यादा प्रणाली से प्रभावित होनेवाले 6 रोगियों के साथ किए गए उप्चर क वर्णन है, जो अन्य उपचारों के लिए अच्छा प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे। दो की हालत को स्थिर कर दिया गया और बाकी 4 इस उपचार पर भी बिगडते चले गए। सबसे अनुभवी स्थिरीकृत कार्डियोवैस्कुलर प्रभाव था। (यह वेबपेज देखें।) एक अन्य लेख नवंबर 2010 में प्रकाशित हुआ था जो हिस्टियोसाइटिक बीमारियों वाले 3 मरीजों का डेटा प्रदान करता है जिनको ग्लेवेक को दी गई थी, जिनमें से एक ईसीडी रोगी था। इस लेख का निष्कर्ष यह है कि, ” इमेटिनिब इन बीमारियों वाले कुछ रोगियों के लिए एक प्रभावी उपचार विकल्प हो सकता है।” (देखें http://jco.ascopubs.org/content/28/31/e633.full) वर्तमान में कुछ मुट्ठी भर ऐसे ईसीडी वैश्विक संगठन से जुडे मरीज़ हैं जो इस उपचार पर हैं। इमेटिनिब पर अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Imatinib देखें। ईसीडी के इलाज के लिए विशिष्ट रिपोर्ट के मुताबिक मुंह से ली जानेवाली इमेटिनिब की प्रतिदिन खुराक 400 मिलीग्राम है।
क्लैड्रिबिन (जिसे 2-CdA भी कहा जाता है)
कभी-कभी एक डॉक्टर निर्णय लेगा कि एक विशेष रोगी के लिए ईसीडी का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका केमोथेरेपी है। कीमोथेरेपी का मतलब है कि बीमारी से लड़ने के प्रयास में शरीर में कुछ कोशिकाओं को मारने के लिए एक रसायन का उपयोग किया जाता है। विशिष्ट केमोथेरेपी उपचार जो कुछ ईसीडी रोगियों के अनुकूल परिणाम दिखाता है वह क्लैड्रिबिन (या 2-CdA) है। यह दवा आमतौर पर एक विशिष्ट अवधि के लिए प्रयोग की जाती है। क्लैड्रिबिन को ईसीडी रोगियों की रोगप्रतिकारक प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डालनेवाला उपचार दिखाया गया है और इसलिए ज्यादातर विशेषज्ञ इस उपचार के 2 से 4 खुराकों से ज्यादा उपयोग करने से बचते हैं। सभी केमोथेरेपी उपचार डॉक्टर द्वारा करीबी निगरानी के साथ दिए जाने चाहिए। कीमोथेरेपी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Chemotherapy देखें।
सिरोलिमस (व्यापारिक नाम – रेपाम्युन)
डेटा से पता चलता है कि इस उपचार ने स्थिरीकरण को प्रेरित किया है और बहुविध प्रणाली से प्रभावित ईसीडी के कुछ मरीजों ने कुछ हद तक इसे सहन किया है, खासतौर पर वे लोग जिनकी किडनी इस रोग से प्रभावित है। इफ्युशन से प्रभावित लोगों के लिए दवा की सिफारिश नहीं की जाती है। इम्यूनोस्पेप्रेसेंट रोगप्रतिकारक प्रणाली की प्रभावकारिता को कम करते हैं, जिससे उपचार के जोखिमों को कम करने के लिए रोगियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पडती है। इम्यूनोस्पेप्रेसेंट थेरेपी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Immunosuppression देखें।
टोसिलिज़ुमेब (व्यापारिक नाम एक्टेमरा)
एक्टेमरा को गंभीर रूप से सक्रिय रूमेटोइड आर्थ्राइटिस (RA) के इलाज के लिए स्वीकृत किया गया है। इसे इंटरलेक्विन-6 (IL-6) रिसेप्टर अवरोधक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। एसीडी उपचार के रूप में एक्टेमरा के उपयोग पर मिले उभरते हुए आंकड़ों से पता चलता है कि यह C-प्रतिक्रियाशील प्रोटीन (CRP) के स्तर को कम कर सकता है और फ्लोराइडोक्सीग्लुकोस (FDG) का सेवन कम कर सकता है। टोसिलिज़ुमेब ईसीडी के कुछ स्थानीयकरण मामलों पर प्रभावी हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय भाववाहक तंत्र (CNS) के स्थानीयकरण पर इसका खराब प्रभाव पड़ता है। हालाकि इस उपचार पर कोई प्रकाशित शोधपत्र नहीं हैं, पर इस उपचार से रोगियों को हड्डी के दर्दमें कुछ राहत मिली है। एक्टेमरा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://www.fda.gov/downloads/Drugs/DrugSafety/UCM197463.pdf देखें।
मेथोट्रैक्सेट
मेथोट्रैक्सेट का आमतौर पर कैंसर या ऑटोइम्यून रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। कुछ ईसीडी रोगियों के इलाज के लिए मेथोट्रैक्सेट का उपयोग किया गया है। कुछ मामलों में इस दवा का अकेला उपयोग किया जाता है और कम से कम एक मामले में इसका उपयोग इन्फ्लिक्सिमैब और माइक्रोफेनोलिक एसिड के साथ किया गया था। जब ईसीडी में तीव्र बढ़ोति की पहचान की गई है तब कुछ रोगियों को मेथोट्रैक्सेट की उच्च खुराक देने का विवरण किया गया है, जबकि अन्य रोगियों को मेथोट्रैक्साईट की कम खुराक मिली है। अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Methotrexate देखें।
इनफ्लिक्सिमेब (व्यापारिक नाम रेमिकेड)
इनफ्लिक्सिमेब एक जैविक दवा है जो आमतौर पर ऑटोइम्यून रोगों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। ईसीडी के इलाज के रूप में इनफ्लिक्सिमेब के उपयोग में सीमित संशोधन हुआ है। आम तौर पर, इस उपचार ने ईसीडी के इलाज में कम प्रभाव दिखाया है। हालांकि, इसका सीमित उपयोग कम प्रभावित ईसीडी वाले मरीजों के लिए अथवा उन रोगियों के इलाज के लिए जो अन्य उपचार के लिए असमर्थता दिखाते हैं, हो सकता है । कुछलोग बताते हैं कि इस उपचार को उन मरीजों के इलाज के रूप में भी माना जा सकता है जिनकी लक्षित थेरेपी, जैसे BRAF- और / अथवा MEK-अवरोधक, में बाधा डाली गई है।
सर्जिकल डिबकलिंग
यदि ईसीडी की वजह से द्रव्यमान गठित (गाँठ) है, तो डॉक्टर सर्जिकल तकनीकों का उपयोग करके व्यावहारिक रूप से अधिकतर द्रव्यमान(गाँठ) को हटाने की सलाह दे सकता है। यह कार्य अन्य उपचारों को अधिक प्रभावी ढंग काम करने देने और / अथवा जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के इरादे से किया जाता है जहां गाँठ में कमी करने से रोग के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। सर्जिकल डिबकलिंग चिकित्सा के बारे में निर्णय डॉक्टर द्वारा अलग-अलग मरीजों की परिस्थिति को देख कर किया जाता है।
सिस्टमिक कॉर्टिकोस्टिरॉइड्स
कॉर्टिकोस्टिरॉइड्स हार्मोन होते हैं जो शरीर में तनाव, बाह्य घटकों, सूजन इत्यादि के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होते हैं। अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला कॉर्टिकोस्टिरॉइड्स प्रेन्डिज़ोन होता है, जिसका आमतौर पर बीमारी के प्रकोप से नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। अगर डॉक्टर का मानना है कि कॉर्टिकोस्टिरॉइड्स एक मरीज के लिए इलाज का एक अच्छा तरीका है, तो वो रोगी को यह दवा लिख देगा और किसी भी प्रतिकूल असर के लिए रोगी की निगरानी जारी रखेगा। कॉर्टिकोस्टिरॉइड्स को अक्सर मौखिक रूप से (मुंह से खाकर) लिया जाता है। रोगी को कुछ प्रतिकूल असरों का अनुभव हो सकता है जिन पर डॉक्टर द्वारा बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Corticosteroid देखें।
विकिरण उपचार
कभी-कभी डॉक्टर विकिरण तकनीकों का उपयोग करके गाँठ का इलाज करने की कोशिश करता है। आमतौर पर, ईसीडी की क्षितीयों से जुड़े हड्डी के दर्द को कम करने की वजह से यह इलाज चुना जाता है। विकिरण उपचार अस्पताल या नैदानिक देखरेख में किया जाता है। विकिरण उपचार के बारे में अधिक जानकारी के लिए,
http: //en.wikipedia.org/wiki/Radiation_therapy देखें।
इलाज के प्रभाव का मूल्यांकन करना मुश्किल है और इलाज के दौरान बीमारी क प्रकोप बढ़ भी सकता है। सामान्य तौर पे, इस बीमारी मेंमरीजों के इलाज के तरीके अस्थायी होते हैं। इन इलाज के विकल्पों के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिएइस वेबसाइट पर, “संपूर्ण लेख” विभाग ईसीडी के संबंध में लिखे गए लेख प्रदान करता है, जिनमें से कई लेखइलाज के विकल्पों और परिणामों के बारे में अनौपचारिक जानकारी प्रदान करते हैं।(ईसीडी के लिए उपलब्ध इलाज के विकल्पों की पूरी जानकारी के लिए “एर्डिम-चेस्टर रोग के प्रबंधन में रणनीतियां और नैदानिक विकल्प”विभाग देखें।)
यह जानना महत्वपूर्ण है कि ऐसे मरीज़ भी हैं जो दशकों से ईसीडी होने के बावजुद उच्च गुणवत्ता वाला जीवन जी रहे हैं। क्यूँकि ईसीडी बहुत दुर्लभ और उसके बारे में प्रकाशित ग्रन्थ/लेख बहुत कम है, इसलिए यह जानकारी रोगियों या चिकित्सकों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकती है।
एक बहु प्रणालीगत प्रभावी बीमारी के रूप में, एर्डिम-चेस्टर रोग की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए,चाहे भले ही मरीज़ इलाज का कोई भी तरीका क्यों ना अपना रहा हो।ईसीडी वाले मरीजों को ईसीडी से प्रभावित अंगों कि जानकारी पाने के लिएनिम्नलिखित परीक्षणों का सुजाव दीया जाता है:
- एक अच्छी कार्डियक और ओर्टिक जांच। जिनको हृदय संबंधी क्षति है ऐसे मरीजों के लिए प्रत्येक 3 महीने में एक जांच तब तक की जानी चाहिए, जब तक इलाज के साथ स्थायि रूप से सुधार न दिखे, और ऐसे मामलों में जांच को प्रत्येक 6 महीने में भी किया जा सकता है।
- मस्तिष्क की विशेष निगरानी के साथ मस्तिष्क की एक एमआरआई जांच। यदि CNS भी प्रभावित है या होने की शंका है, तो जांच के साथ सुधार स्थायि होने तक जांच को हर 3 महीने में दोहराया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जांच को प्रत्येक 6 महीने में भी किया जा सकता है।
- रेनाल और रेनोवसक्युलर जांच, चिकित्सा शुरू करने के बाद हर 3 महीने के अंतराल पे, और बीमारी का बढ़ावा स्थिर हो जाने के बाद हर 6 महीने के अंतराल मे भी की जा सकती है।
- PET/CT जांच रोग की गतिविधि और उसके फैलावे पर नज़र रखने के लिए तथा चिकित्सा के प्रति उसकी प्रतिक्रिया को देखने के लिए की जाती है; यह जांच आमतौर पर बीमारी का बढ़ावा स्थायि होने तक हर 3 से 6 महीने में की जाती है।
- विटामिन बी 12 के स्तर की जांच (400pg/ml सुजावी है)
- विटामिन ई के स्तर की जांच जो न्यूरोलॉजिकल प्रमाणों में शामिल हो सकती है।
- पिट्यूटरी की कार्यक्षमता का मूल्यांकन। टेस्टोस्टेरोन, एडीएच, थायराइड के हार्मोन, इंसुलिन, एसीटीएच और पीटीएच समेत सब के हार्मोन के स्तर को ध्यान मे रखा जाना चाहिए।
इसके अलावा, ईसीडी के रोगियों के लिए अपना स्वास्थ्य पुनः प्राप्त कर सके ऐसी सेवाओं की शुरुआत की आवश्यकता है। रोगी के लक्षणों पर आधारित इस सेवाओं में शारीरिक चिकित्सा, विविध पेशेवर चिकित्सा और / अथवा बोलने / दवाई निगलने के उपचार शामिल हो सकते हैं।
ईसीडी के लक्षणों को नियंत्रण में रखने के अन्य उपचार जो कुछ रोगियों को उपयोगी लगे है, उनमें शामिल हैं:
बिस्फोस्फोनेट्स
बिस्फोस्फोनेट्स दवाओं का एक ऐसा प्रकार है जो हड्डियों की घनता को होनेवाले नुकसान को रोकती है, और वही ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी उपयोग की जाती है। कई प्रकार के कैंसर में, नसों में दीए जानेवाली उच्च प्रभाव की बिस्फोस्फोनेट्स कंकाल को होनेवाली असरों को बढ़ाती है ऐसा भी पाया गया है। बिस्फोस्फोनेट्स हड्डी के दर्द में कमी और ईसीडी द्वारा हड्डियों पर होनेवाली असर के नियंत्रण में योगदान दे सकता है।
मोडेफिनिल (व्यापारिक नाम प्रोविजिल)
कुछ रोगियों को ईसीडी की वजह से अनुभव होने वाली थकान / नींद के लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए प्रोविजिल का उपयोग किया गया है। मरीजों ने भिन्न मात्रा में राहत पाने की सफलता के बारे में बताया है। यह दवा रोग का इलाज नहीं करेगी, लेकिन इसकी कोशिश बस रोगियों को गंभीर थकान से निपटने में मदद करने की रही है। मोडेफिनिल के बारे में अधिक जानकारी के लिए, http://en.wikipedia.org/wiki/Modafinil देखें।
लंबे समय तक लिए जानेवाली एंटीबायोटिक्स
कई ईसीडी रोगियों ने संक्रमण बढ़ने की और उनसे ठीक होने में कठिनाइयाँ बढ़ने का बयान दीया है। कुछ उपचार मरीज़ की रोगप्रतिकारक प्रणाली की कार्यक्षमता को कम कर सकते हैं, जिससे उन्हें संक्रमण होने का जोखिम बढ़ सकता है। ज्यादातर मरीज़ सामान्य संक्रमण जैसे साइनस, बढ़े हुए श्वास-प्रश्वास, मूत्रपथ इत्यादि से निपटते हैं, लेकिन दूसरों को रोगप्रतिकारक प्रणाली में क्षति के कारण होनेवाले असाधारण संक्रमणों से निपटना पड़ सकता है। कुछ डॉक्टरों और मरीजों द्वारा उपयोग की जाने वाली संक्रमण को नियंत्रण में रखने की विभिन्न मददरुप पध्धतियाँ निम्नलिखित हैं।
– जैसे ही आपको संक्रमण की संभावना लगती है, तुरंत ही अपने स्थानिक चिकित्सक से मुलाकात करें।
– यदि मरीज़ नियमित समय पर डॉक्टर से नहीं मिल पा रहे हैं तो कुछ डॉक्टर निश्चित एंटीबायोटिक दवाओं के आदेश की व्यवस्था करते हैं । यह बात हर एक मामले को देख कर तय की जाती है। इस पध्धति का उपयोग करते समय भी, अगर आप को संक्रमण होने का संदेह है तो जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर को दिखना बहुत महत्वपूर्ण है। किसी विशेष संक्रमण के लिए सर्वश्रेष्ठ एंटीबायोटिक चुनना बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है, और यह केवल उचित परीक्षण के बाद ही किया जा सकता है। कई बार संक्रमण वायरस की वजह से भी हो सकता है, ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक संक्रमण से लड़ने में मदद नहीं करेगी।
– फिर भी, प्रोफेलेक्टिक उपचार के रूप में अन्य डॉक्टर कुछ रोगियों को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स के दीर्घकालीन उपयोग की सलाह देते हैं। यह बात हर एक मामले को देख कर तय की जाती है और इसमें डॉक्टर द्वारा कड़ी निगरानी की आवश्यकता होती है। स्थायी संक्रमण के इलाज के लिए इस प्रस्ताव के जोखिमों और लाभों पर लोगों की अलग-अलग राय हैं।
एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए http://en.wikipedia.org/wiki/Antibiotic देखें। ”
ईसीडी के मरीज़ की देखभाल कठिन है और इसमें एक साथ काम करने वाले विशेषज्ञों की टीम की जरूरत है। अमेरिका, यूरोप और इज़राइल में ऐसे कई संस्थान हैं जिन्होंने ईसीडी रोगियों को श्रेष्ठ सेवाएँ प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम उपलब्ध रखने के लिए वायदा किया है। ईसीडी देख-भाल केंद्रों का यह नेटवर्क ईसीडी के मरीजों और उनकी स्थानीय चिकित्सा टीम के लिए वरदान समान है जो निदान के बाद विशेशज्ञ डॉक्टरों के साथ काम करने में मदद करता है ।
एक ईसीडी देख-भाल केंद्र वह संस्थान है जहां संस्थान या चिकित्सक ने 5 या अधिक ईसीडी मरीजों का इलाज किया है। ये केंद्र ईसीडी के उपचार निर्धारित करने के अनुकूल और सक्षम हैं। प्रत्येक केंद्र के मुख्य चिकित्सक अन्य केंद्रों पर भी इलाज से संबंधित औपचारिक या अनौपचारिक सलाह देने के लिए तत्पर होते है जो हालाकी स्थानीय नीतियों और प्रक्रियाओं पर आधारित रहेता है। इन केंद्रों में ऐसे भी पेथोलोजिस्ट (रोगविज्ञानी) है जो ईसीडी के विषम हिस्टोपैथोलॉजिकल लक्षणों से परिचित हैं तथा ईसीडी के मामलों में सहयोग करने के तत्पर हैं।
ईसीडी इमर्जिंग केयर सेंटर एक ऐसी संस्था है जो ईसीडी के मरीजों की देखभाल करने में रूचि रखती है, लेकिन अभी तक 5 या अधिक ईसीडी के मरीजों का इलाज नहीं किया है। अगर किसी पेशेवर चिकित्सक को अपनी संस्था की पहचान रेफरल या इमर्जिंग केयर सेंटर के रूप में करने में रुचि है तो उन्हें इस संगठन से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कृपया लिंक से जुड़े वेबपेज के निचले हिस्से में देख-भाल केंद्र का नक्शा और सूची देखें।: https://www.erdheim-chester.org/care-centers/
होनेवाले कार्यक्रम की सूचि:
मेडिकल
15 नवंबर, 2018
ऑरलान्डो, FL, USA
दुनिया भर केपेशेवर चिकित्सक इस बीमारी के अनुसंधान और उपचार में हुए वैज्ञानिक निष्कर्ष, रोगी के परिणाम, विभिन्नमरीजों के अध्यन और नए विकास को बाँटने के लिए इस वार्षिक आयोजन में इकट्ठे होते हैं।
रोगी और परिवार सम्मेलन
नवंबर 15-16, 2018
ऑरलान्डो, FL, USA
ईसीडीजीए एर्डिम-चेस्टर रोग के बारे में अधिक जानने के लिए परिवारों, मरीजों और पेशेवर चिकित्सकों को एक साथ लाता है।दुनिया भर से आए ईसीडी-जानकार चिकित्सकों द्वारा शैक्षणिक व्याख्यानदिए जाते हैं। मरीजों और परिवारों को ईसीडी के बारे में अधिक शिक्षित करने के लिए रोग प्रबंधन रणनीतियाँ और अपडेट व्याख्यानों द्वारा प्रदान किये गए। सीखने के अवसरों के अलावा, मरीजों और उनके परिवारों को अन्य साथियों के साथ समय का आनंद मिलता है, जिससे वे अपनी कहानियों और अनुभवों को एक-दूसरे के साथ बाँट सकते हैं।
ये कार्यक्रम इटली में 2019 की गर्मियों में भी आयोजित किये जाएँगे; अधिक जानकारी इस साल उपलब्ध होगी।